क्षमा चाहता हूँ, मैं जापान गया हूँ, वहां के विद्यालय देखे है, बच्चों की मासूमियत देखी है , शिक्षको का उन्नत व्यव्हार भी देखा है |
जापान में बच्चे पांचवी कक्षा में कार्टून, खेल कूद, पॉवर रेंजर इत्यादि की दुनिया में ही रहते है | जैसा एक स्वस्थ बच्चा हर एक देश में होता है , ठीक वैसे ही | वो बच्चे समय से पहले बूढ़े नहीं होते| जापान की संस्कृति में बच्चो के बचपने को काफी प्यार दिया जाता है |
ये सिर्फ भारतीय बच्चो को ताना मारने, नीचा दिखाने के लिए कहा जाता है की पांचवी में जापान का बच्चा भविष्य निर्धारण कर लेता है, जो की हकीकत नहीं है | ठीक उसी तरह जैसे पडोसी के बच्चे से अपने बच्चों की तुलना की जाती है |
जापान में शिक्षण व्यवस्था भारत से उन्नत हो सकती है , लेकिन बच्चे बच्चे ही रहते है | मैं भी बच्चा था, पांचवी कक्षा में WWE का पहलवान बनना चाहता था |
मेरे शिक्षक हमें यह कह कर ताना मारते थे की जापान में पांचवी कक्षा के बाद से बच्चे मेडिकल, इंजीनियरिंग, इत्यादि की पढाई शुरू कर देते है | जो कि बेबुनियाद और हास्यास्पद था |
बल्कि मैंने तो यह देखा है की भारत में जन्म लेने के बाद से ही माता पिता कह देते है की मेरा लड़का बड़ा होकर इंजिनियर या डॉक्टर बनेगा | बच्चों के करियर निर्धारण पर उनके माता पिता क्रूर होते है , और अपने निर्णय थोपते है | लेकिन ऐसा जापान में नहीं होता |
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